Tuesday, October 14, 2014

महाराणा प्रताप story

महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास में वीरता और राष्ट्रीय स्वाभिमान के पर्याय हैं। वे एक कठिन और उथल-पुथल भरे कालखण्ड में पैदा हुए थे, जब मुगलों की सत्ता समूचे भारत पर छाई हुई थी और मुगल सम्राट अकबर अपनी विशिष्ट कार्य शैली के कारण ‘महान’ कहा जा सकता है।
लेकिन महाराणा प्रताप उसकी ‘महानता’ के पीछे छिपी उसकी साम्राज्यवादी आकांक्षा के विरुद्ध थे, इसलिए उन्होंने उसकी अधीनता स्वीकार नहीं की। परिणामस्वरूप अकबर उसके विरुद्ध युद्ध में उतरा। इस प्रक्रिया में महाराणा प्रताप ने जिस वीरता, स्वाभिमान और त्यागमय जीवन को वरण किया, उसी ने उन्हें एक महान लोकनायक और वीर पुरुष के रूप में सदा-सदा के लिए भारतीय इतिहास में प्रतिष्ठित कर दिया है।
Maharana Pratap Biography in Hindi
महाराणा प्रताप (९ मई, १५४०- १९ जनवरी, १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण केलिये अमर है। हन्होंने कई वर्षों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। इनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ में महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर के घर हुआ था। १५७६ के हल्दीघाटी युद्ध में २०,००० राजपूतों को साथ लेकर राणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के ८०,००० की सेना का सामना किया। शत्रुसेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को शक्ति सिंह ने बचाया। उनके प्रिय अश्व चेतक की भी मृत्यु हुई। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परन्तु इसमें १७,००० लोग मारे गएँ। मेवाड़ को जीतने के लिये अकबर ने सभी प्रयासकिये। महाराणा की हालत दिन-प्रतिदिनचिंतीत हुइ। २५,००० राजपूतों को १२ साल तक चले उतना अनुदान देकर भामाशाह भी अमर हुआ।
लोक में रहेंगे परलोक हु ल्हेंगे तोहू,
पत्ता भूली हेंगे कहा चेतक की चाकरी ||
में तो अधीन सब भांति सो तुम्हारे सदा एकलिंग,
तापे कहा फेर जयमत हवे नागारो दे ||
करनो तू चाहे कछु और नुकसान कर ,
धर्मराज ! मेरे घर एतो मतधारो दे ||
दीन होई बोलत हूँ पीछो जीयदान देहूं ,
करुना निधान नाथ ! अबके तो टारो दे ||
बार बार कहत प्रताप मेरे चेतक को ,
एरे करतार ! एक बार तो उधारो||
”जय राजपूत जय राजपूताना”
|| जय श्री राजपुताना||

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