Wednesday, October 14, 2015

कैसे लोगों पर भरोसा करें आप -how should we trust on people ?

गुरुकुल में शिष्यों की शिक्षा पूर्ण हो चुकी थी और आज उनका आखिरी दिन था | गुरुकुल की परम्परा के अनुसार गुरूजी अपने शिष्यों को आखिरी उपदेश देने की तेयारी कर रहे थे | जब सारे शिष्य गुरुकुल के मुख्य कक्ष में इक्कठे हो गये तो गुरूजी ने अपना उपदेश देना शुरू किया | उनके हाथ में लकड़ी के कुछ खिलोने थे | उन्होंने शिष्यों को वो खिलोने दिखाते हुए बोले “मेरे हाथ में जो ये खिलोने है आपको इन तीनो में से अंतर खोजना है ” गुरूजी की आज्ञा पाकर शिष्य बड़े ध्यान से खिलौनों को देखने लगे | वो तीनो लकड़ी के बने हुए खिलौने थे बिलकुल एक सामान दिखने वाले गुड्डे थे | जिनमे अंतर खोजना बहुत मुश्किल था  |

तभी एक शिष्य ने एक गुड्डे को परखते हुए कहा “अरे ये देखो इसके कान में छेद है |” यह संकेत काफी था इतने में सारे शिष्यों ने एक एक करके उन तीनो में अंतर खोज लिया |  तो उन सबने गुरूजी से बोला कि गुरूजी इस गुड्डो में बस यही एक अंतर है एक के कानों में छेद है | एक के मुहं में और एक कान में छेद है और एक के केवल एक कान में छेद है |

उनका जवाब सुनकर गुरूजी बोले बिलकुल सही कहा अब गुरूजी ने शिष्यों को धातू का एक पतला तार देते हुए उसे गुड्डो के कान में डालने को कहा | शिष्यों ने वैसा ही किया तो क्या देखते है एक गुड्डे के कान से होते हुए वो तार दूसरे कान से निकल गया | एक और गुड्डे के कान से होकर वो तार मुहं से निकल गया | जबकि एक के कान में तार डालने पर वो कंही से नहीं निकला |

इस पर गुरूजी ने उन्हें समझाया कि देखो इसी तरह तुम्हे जिन्दगी में तीन तरह के लोग मिलेंगे | एक वो जिनसे अगर तुम कुछ कहते हो तो वो एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते है ऐसे लोगो के साथ कोई भी बात तुम शेयर मत करना | एक वो लोग होंगे जो तुम्हारी बातें सुनकर किसी और के सामने जाकर कहेंगे ऐसे में उनसे कोई भी अहम् बात शेयर मत करना और एक वो होंगे जिनसे तुम कोई भी बात कहोगे जिन पर तुम भरोसा कर सकते हो उसी तीसरे गुड्डे की तरह और उनसे तुम किसी भी बात के विषय में सलाह ले सकते हो | ऐसे लोग तुम्हारी ताकत बनेंगे | बस आपको लोगो की सही परख होना आवश्यक है |

क्या है खुश रहने का राज़ Secret of Happiness In Hindi -Motivational story

एक समय की बात है, एक गाँव में महान ऋषि रहते थे| लोग उनके पास अपनी कठिनाईयां लेकर आते थे और ऋषि उनका मार्गदर्शन करते थे| एक दिन एक व्यक्ति, ऋषि के पास आया और ऋषि से एक प्रश्न पूछा| उसने ऋषि से पूछा कि “गुरुदेव मैं यह जानना चाहता हुईं कि हमेशा खुश रहने का राज़ क्या है (What is the Secret of Happiness)?” ऋषि ने उससे कहा कि तुम मेरे साथ जंगल में चलो, मैं तुम्हे खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness) बताता हूँ|

ऐसा कहकर ऋषि और वह व्यक्ति जंगल की तरफ चलने लगे| रास्ते में ऋषि ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को कह दिया कि इसे पकड़ो और चलो| उस व्यक्ति ने पत्थर को उठाया और वह ऋषि के साथ साथ जंगल की तरफ चलने लगा|

कुछ समय बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा लेकिन वह चुप रहा और चलता रहा| लेकिन जब चलते हुए बहुत समय बीत गया और उस व्यक्ति से दर्द सहा नहीं गया तो उसने ऋषि से कहा कि उसे दर्द हो रहा है| तो ऋषि ने कहा कि इस पत्थर को नीचे रख दो| पत्थर को नीचे रखने पर उस व्यक्ति को बड़ी राहत महसूस हुयी|

तभी ऋषि ने कहा – “यही है खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness)”| व्यक्ति ने कहा – गुरुवर मैं समझा नहीं|

तो ऋषि ने कहा-



जिस तरह इस पत्थर को एक मिनट तक हाथ में रखने पर थोडा सा दर्द होता है और अगर इसे एक घंटे तक हाथ में रखें तो थोडा ज्यादा दर्द होता है और अगर इसे और ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे तो दर्द बढ़ता जायेगा उसी तरह दुखों के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे उतने ही ज्यादा हम दु:खी और निराश रहेंगे| यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों के बोझ को एक मिनट तक उठाये रखते है या उसे जिंदगी भर| अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो दु:ख रुपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीख लो और हो सके तो उसे उठाओ ही नहीं

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